आखिर Aam Aadmi Party गुजरात को लेकर क्यों है उत्साहित?

देश के दो राज्यों (दिल्ली केंद्र शासित प्रदेश ओर पंजाब) में सत्ता संभाल रही अन्ना आंदोलन से निकली हुई पार्टी आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) ने गुजरात में पेशे से पत्रकार रहे इशुदान गढ़वी (Isudan Gadhvi) को गुजरात में पार्टी का सीएम चेहरा घोषित कर प्रदेश में अपने चुनावी अभियान को तेज कर दिया है.

पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने शुक्रवार 4 नवंबर 2022 को गढ़वी के नाम की घोषणा करते हुए कहा कि गुजरात के 16 लाख 48 हजार 500 लोगों ने आप के सीएम चेहरे को लेकर अपनी राय दी जिसमें से 73 फीसदी ने इशुदान गढ़वी को चुना तो वहीं 27 फीसदी ने आप की गुजरात इकाई के अध्यक्ष गोपाल इटालिया को अपनी पहली पंसद बताया. इसलिए हमारी पार्टी का सीएम फेस इशुदान गढ़वी ही होंगे.

पंजाब मॉडल

मुख्यमंत्री के चेहरे के चुनाव को लेकर आप (Aam Aadmi Party) ने गुजरात में भी पंजाब मॉडल का ही सहारा लिया जिसके तहत पार्टी सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल ने पिछले दिनों गुजरात के लोगों से वॉट्सएप नंबर जारी कर पूछा था कि हम जानना चाहते हैं कि अगला मुख्यमंत्री कौन होना चाहिए. पार्टी के अनुसार आम आदमी पार्टी की तरफ से सीएम पद के उम्मीदवार के रूप में प्रदेश अध्यक्ष गोपाल इटालिया, राष्ट्रीय महासचिव इशुदान गढ़वी और महासचिव मनोज सूरथिया के नाम शामिल थे जिनमें से इशुदान को चुना गया.

गुजरात में इस बार पैदा हो रहे हैं त्रिकोणीय मुकाबले के आसार

आम तौर पर गुजरात में भाजपा, कांग्रेस के बीच ही मुकाबला देखने को मिलता है लेकिन इस बार आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) ने इसको त्रिकोणीय मुकाबला बना दिया है. सत्ताधारी भाजपा की जहां गुजरात में पहले से ही नींव मजबूत है तो वहीं आप पिछले कुछ सालों से वहां अपनी जमीन मजबूत करने में जुटी हुई है. 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा 99 सीट हासिल की थी, जबकि कांग्रेस को 77 सीट मिली थी.

आप राष्ट्रीय पार्टी बनने की राह पर

भारतीय निर्वाचन आयोग (Election Commission of India) ने अभी तक भाजपा, कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, बहुजन समाज पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी को राष्ट्रीय दल की मान्यता दी है. इनमें से अगर किसी भी दल की मान्यता अगर राष्ट्रीय पार्टी की तौर पर खत्म कर दिया जाए तो वो पूरे देश में एक ही चिह्न (Symbol) पर चुनाव नहीं लड़ पाएंगे ओर उनको हरेक राज्य में चुनाव लड़ने के लिए अलग-अलग सिंबल दिया जाएगा. इससे एक फायदा ये होता है कि किसी भी दल को हरेक राज्य में चुनाव लड़ने के लिए मिलने वाले सिंबल को लेकर अलग से रणनीति नहीं बनानी पड़ती है.

आम आदमी पार्टी के पास मौका, लेकिन कैसे?

आम आदमी पार्टी को इस समय तीन राज्यों (पंजाब, दिल्ली, गोवा) में क्षेत्रीय दल की मान्यता प्राप्त है. अगर उसे चौथे राज्य (हिमाचल या गोवा) में भी मान्यता मिलती है तो उसे राष्ट्रीय दल घोषित कर दिया जाएगा. इसके लिए पार्टी को गुजरात और हिमाचल प्रदेश के चुनाव में किसी भी एक राज्य में कम से कम 6 फीसदी वोट और 2 सीटें जीतने की जरूरत होगी.

पूरा जोर गुजरात पर

पिछले चार महीने से जो बड़े नेता लगातार गुजरात का दौरा कर रहें हैं उनमें आप के मुखिया अरविंद केजरीवाल, दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, पंजाब के सीएम भगवंत मान सिंह भी शामिल हैं. केजरीवाल की गुजरात में 18 से ज्यादा सभाएं हो चुकी हैं. इन सभाओं में आप ने हर वर्ग के लोगों से संवाद करने का दावा किया है. पार्टी की तरफ से अब तक उम्मीदवारों की दस लिस्ट जारी हो चुकी है जिनमें 118 विधानसभा क्षेत्रों के प्रत्याशियों का एलान किया गया है.

कहां जोर लगा रही है आप

गुजरात में अभी आम आदमी पार्टी का पूरा जोर सूरत और पाटीदार बहुल इलाकों पर है. लंबे समय से पाटीदार आंदोलन से जुड़े रहे आप के प्रदेश अध्यक्ष गोपाल इटालिया को भी पाटीदार समाज का समर्थन मिल रहा है. गुजरात में पाटीदार वोटर्स की संख्या 18 फीसदी के आसपास है. पाटीदार के अलावा, आम आदमी पार्टी पशु पालकों और किसानों को भी अपनी ओर रिझाने की कोशिश कर रही है. गुजरात के पशुपालक इस समय एक सरकारी आदेश के कारण नाराज चल रहे हैं. जिसमें कहा गया है कि अगर कोई भी पशु शहरी इलाकों में दिखा तो पशुपालक पर कानूनी कार्रवाई होगी.

अभी कहां खड़ी है आम आदमी पार्टी?

पिछले कई महीनों से आम आदमी पार्टी गुजरात में विधानसभा चुनाव के लिए पूरी ताकत झोंक रही है. आम आदमी पार्टी गुजरात में पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ेगी. लिहाजा उसके पास पुराना कोई आंकड़ा नहीं है जिसके बूते ये अंदाजा लगाया जा सके कि उसे कितनी सीटें और कितने फीसदी वोट मिल सकते हैं. हालांकि आम आदमी पार्टी ने गुजरात में स्थानीय निकाय चुनाव में अपने प्रत्याशी जरूर उतारे थे.

गुजरात में आप का चुनावी सफर

गुजरात में आप ने अभी तक केवल नगर निगम स्तर पर ही चुनाव लड़ा है. जिसमें से सूरत महानगर पालिका में उसके 120 में से 27 उम्मीदवार जीते और 28.47 फीसदी वोट मिले थे. वहीं गांधीनगर में आप ने 44 में से 40 सीटों पर चुनाव लड़ा ओर एक उम्मीदवार जीता वहीं 21.70 फीसदी वोट मिले थे. आप ने राजकोट की सभी 72, भावनगर की सभी 52 और अहमदाबाद की सभी 192 सीटों पर चुनाव लड़ा था लेकिन यहां उसे एक भी भी सीट नहीं मिली लेकिन राजकोट में 17.40 फीसदी भावनगर में 8.41 फीसदी और अहमदाबाद में 6.99 फीसदी वोट जरूर मिले.

कमजोर हो रही है भाजपा

गुजरात में भाजपा साल 1997 से लगातार सत्ता में है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह जैसे पार्टी के बड़े और ताकतवर नेता इसी राज्य से आते हैं. 2017 के विधानसभा चुनाव में गुजरात में जीत हासिल करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अच्छी खासी मसकत करनी पड़ी थी लेकिन इसके बावजूद भाजपा की सीटें कम हुई थी. 2012 में कांग्रेस को जहां 61 सीटें मिली थीं, वहीं 2017 में यह आंकड़ा 77 हो गया था, दूसरी ओर भाजपा को 2012 में मिली 115 सीटों के मुकाबले 2017 में वह 99 सीटों पर आ गयी थी.

कांग्रेस ओर भाजपा में रहता है मुकाबला लेकिन मोदी जाने के बाद गिरा भाजपा का ग्राफ

2001 से 2014 के दौरान जब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे तो वहां भाजपा की जड़ें मजबूत हुईं. 2014 में उनके प्रधानमंत्री बनकर दिल्ली आने के बाद विधानसभा चुनाव में भाजपा की पहली जैसी ताकत नहीं रही. ये बात पिछले चुनाव के नतीजों से भी साबित हुई है. मोदी के मुख्यमंत्री रहते उनके नेतृत्व में हुए 2002 के पहले विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 127 सीटें 49.98 फीसदी वोट मिला. वहीं, कांग्रेस को 51 सीटें और 39.28 फीसदी वोट मिले. जबकि 2007 में भाजपा ने 117 सीटों और 49.12 फीसदी वोटों के साथ सत्ता पर अपना कब्जा बरकरार रखा था. तब कांग्रेस को 59 सीटें और 38 फीसदी वोट मिले थे.

2012 में कांग्रेस में 38.93 फीसदी वोट और 61 सीटें हासिल की थी. लेकिन भाजपा ने 115 सीटों और 47.85 फीसदी वोटों के साथ सत्ता पर अपना कब्जा बरकरार रखा. 2002 से 2017 तक के चुनावी नतीजों के आंकड़े बताते हैं कि हर विधानसभा चुनाव में कांग्रेस भाजपा को मजबूती से टक्कर देती रही है.

1 और 5 दिसंबर को होगा मतदान

बता दें कि गुरुवार 3 नवंबर 2022 को चुनाव आयोग ने 182 सदस्यीय गुजरात विधानसभा के चुनाव को दो चरणों में आयोजित करने का ऐलान किया है. आयोग के अनुसार गुजरात में एक और पांच दिसंबर को चुनाव के लिए मतदान होगा और आठ दिसंबर को हिमाचल प्रदेश के साथ ही नतीजों का ऐलान किया जाएगा.

Vikas Lohchab

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