डिजिटल तनाव
एपिसोड सारांश:
युवाओं पर बढ़ते डिजिटल तनाव के बारे में बात की जा रही है। डिजिटल तनाव एक मानसिक स्थिति है जो डिजिटल टेक्नोलॉजी के अत्याधिक उपयोग और ऑनलाइन दुनिया में रहने के कारण होती है। यह हर उम्र के लोगो को प्रभावित करता है खासकर बच्चों को । डिजिटल तनाव के कारणों में साइबर बुलींग, ट्रोलिंग, फ्रॉड, और लोकप्रियता प्राप्ति के दबाव की ताकत शामिल होती है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों पर अधिक समय बिताने, ऑनलाइन प्रेसर और नोटिफिकेशन की चपेट में आने, और अन्य युवाओं के साथ तुलना में रहने के दबाव के कारण डिजिटल तनाव बढ़ता है।
प्रतिलेखन:
होस्ट :स्वागत है आप सभी का, टेकनीति के चौथे एपिसोड में, यह पॉडकास्ट एक ऐसा मंच है जहाँ हम बात करते है डिजिटल दुनिया से जुडी खबरों के पीछे छुपे क्या और क्यों को। मैं हूँ आपके साथ रंजना और आज हम बात करेंगे युवाओं पर बढ़ते डिजिटल तनाव के बारें में और समझेंगे क्या है डिजिटल तनाव और उसके कारण ।
21 वीं सदी के इस डिजिटल युग में, हमारी कनेक्टिविटी अभूतपूर्व ऊंचाइयों पर पहुंच गई है।लेकिन कंटेंट के इस विशाल महासागर और सोशल मीडिया एल्गोरिदम के अनूठे आकर्षण के बीच, एक मूक खतरा है -डिजिटल तनाव । बच्चे और किशोर अपने समय का एक बड़ा हिस्सा ऑनलाइन बिताते है जैसे की सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर। इंस्टाग्राम , स्नैपचैट, फेसबुक और व्हाट्सप्प मानो उनके जीवन का अभिन्न अंग बन चुके है।
क्या है डिजिटल ?
तनाव, चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों के कारण चिंता या मानसिक तनाव की स्थिति।यह एक प्राकृतिक मानव प्रतिक्रिया है, जो हमें जीवन की बाधाओं से निपटने के लिए प्रेरित करती है।हम सभी कुछ हद तक तनाव का अनुभव करते हैं। पर , हमारी टेक्नोलॉजी से भरी दुनिया में, तनाव ने एक नया रूप लिया है- डिजिटल तनाव।तो, वास्तव में डिजिटल तनाव क्या है?प्रसिद्ध बाल मनोवैज्ञानिक, रिक जी स्टील के अनुसार, यह नकारात्मक भावनाएं है जो डिजिटल टेक्नोलॉजी के अत्यधिक उपयोग और हमेशा ऑनलाइन दुनिया में रहने से उत्पन्न होते हैं। मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव को कम करके आंका नहीं जा सकता है, खासकर तब ,जब बात बच्चे और किशोरों की हो ।
मनोवैज्ञानिक एस जे ब्लेकमोर, अपने प्रसिद्ध लेख में , वह किशोरावस्था के असाधारण चरण को समझते हुए बताती है कि इस उम्र में बच्चे अलग अलग परिवर्तन से गुजरते है और यह एक नाज़ुक समय होता है। इस उम्र में बच्चे कई लोगो से प्रभावित होते है जैसे की अपने उम्र के दूसरे बच्चों से, माता पिता से और अपने आस पास के दूसरे लोगों से।
डिजिटल दुनिया एक अशांत समुद्र को पार करने जैसा है, जहाँ पर हर कोने से कंटेंट्स और जानकारी की बौछार होती रहती है। हम सभी जाने अनजाने डिजिटल तनाव का अनुभव करते है पर कभी इस पर बात नहीं करते।
डिजिटल तनाव दो तरह के होते है पहला, जो ऊपरी तौर से ही खतरनाक होते है जैसे की साइबर बुलइंग , ट्रॉल्लिंग , फ्रॉड आदि। दूसरा जिसके बारें में काफी कम लोग जानते है या समझते है , यह तनाव दिखता नहीं पर धीरे धीरे हम इसका शिकार होते जाते है जैसे की ज़्यादा फोल्लोवेर्स और लाइक्स पाने की टेंशन। ऑनलाइन दुनिया में लोकप्रियता, बच्चे और किशोर के लिए एक इम्पोर्टेन्ट अचीवमेंट्स जैसा है , इसका उनपर गहरा प्रभाव पड़ता है।
किशोरावस्था – जीवन का वह चरण जहां रिस्क लेना और अडवेंचरउस चीज़ें करना काफी प्रिय होता है।
आईये जानते है डिजिटल तनाव के कारणों को।
ऑनलाइन पप्लेटफॉर्म्स जैसे की सोशल मीडिया एक अनोखा प्लेटफार्म है जिसमे आप किसी से भी जुड़ सकते है , पर ये एक बड़ा जाल भी है जिसमे आप फसते चले जाते है और उसका कोई अंत नहीं होता , बच्चे और किशोर घंटो बैठ कर सोशल मीडिया प्लेटफार्म जैसे इंस्टाग्राम पर रील्स और स्टोरीज देखना जिसका कोई अंत नहीं होता, पर अपना कीमती समय गवा देते है। ऐसा नहीं है की बच्चे इस बात को जानते नहीं , वह ये जानते है की वह अपना समय बर्बाद कर रहे है और अपनी पढाई और बाकि एक्टिविटीज पर ध्यान नहीं दे रहे, पर वह खुद को रोक भी नहीं पाते। जैसे की कोई भारी बोझ है जिसे हटाने की ताकत उनमे है पर उससे हिला नहीं पा रहे।
हमेशा ऑनलाइन रहने की, तुरंत जवाब देने की टेंशन और जैसे ही आपके फ़ोन पर नोटिफिकेशन आये उसे चेक करने की ललक, तनाव के लक्षण है जिसे हम अनदेखा करते है।
सोशल मीडिया बच्चों को एक दूसरे से कम्पैर करने नए नए पैमाने ऑफर करता है जैसे की किसके कितने लाइक्स है , कितने फोल्लोवेर्स ह इत्यादि ।
ये प्लेटफॉर्म्स बच्चो को फ़ोर्स करते है की वो अपनी एक नयी और ऐसी पहचान बनाये जिसे ऑनलाइन दुनिया पर लोग पसंद करें।
बच्चे और किशोर ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर कई बार ऐसे कंटेंट को देखते है जो उनकी उम्र के हिसाब से अनुचित होते है जो की उन्हें परेशान कर देते है और नेगेटिव फीलिंग का अनुभव करवाते है। किशोरियों के लिए ऑनलाइन दुनिया और भी तनाव पूर्ण होती है , तनाव की वो हमेशा सुंदरता के नए के पैमानो पर खड़ी उतरे और हमेशा फैशनेबुल रहे साथ ही वो कई बार ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर बुरी घटनाओं का भी सामना करती है जैसे की सेक्सुअल हर्रास्मेंट , ऑनलाइन ट्रॉल्लिंग , हेट कमैंट्स आदि।
डिजिटल तनाव जिसे लंबे समय से अनदेखा किया गया है, बच्चे और किशोरों के लिए यह एक गंभीर विषय है। माता-पिता इस संबंध में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं क्योंकि किशोरावस्था एक कोमल उम्र है जो इस भारी दबाव को संभालने के लिए अच्छी तरह से सुसज्जित नहीं है .
मानसिक स्वास्थ्य समग्र स्वास्थ्य की कुंजी है। उन तनावों को समझना जिनसे बचा जा सकता है, इस मुद्दे से निपटने का एक अहम् कदम है। स्वस्थ मोबाइल उपयोग व्यवहार को अपनाने से डिजिटल तनाव को कम करा जा सकता है । डिजिटल तनाव के बारे में जागरूकता बढ़ाने से इसे समझने और जूझने में मदद मिलेगी।
इसी के साथ आज का एपिसोड यहीं समाप्त होता है। जुड़े रहिये हमारे साथ डिजिटल दुनिया के कुछ बाई और अनदेखे पहलुओं को जानने के लिए और समझने के लिए।