Unwiring Tech

  • Home
  • बच्चों के दिमाग पर ऑनलाइन गेमिंग का असर

बच्चों के दिमाग पर ऑनलाइन गेमिंग का असर

प्रस्तोता- अमृता तिवारी

सार- Techनीति’ के इस श्रृंखला में हमने बात करनी शुरू की है ऑनलाइन गेमिंग के बारे में, इस एपिसोड में जानिये कि कैसे ऑनलाइन गेमिंग बच्चों के दिमाग पर गहरा प्रभाव डालता है.

विस्तार- मेज़बान: ‘Techनीति’ में आपका स्वागत है, यह पॉडकास्ट एक ऐसा मंच है जहां हम वैश्विक डिजिटल मुद्दों को समझते हैं और प्रत्येक विषय और घटना के पीछे ‘क्यों’ को जानने की कोशिश करते हैं। मैं हूँ आपके साथ आपकी मेज़बान, अमृता. आज हम बात करेंगे की कैसे ऑनलाइन गेमिंग की बहुमुखी दुनिया बच्चों के दिमाग पर गहरा प्रभाव डालती है.

जून 2023 में भारत सरकार ने हानिकारक ऑनलाइन गेम्स को बैन करते हुए काफी कड़े कदम उठाये थे. इन गेम्स के चलत यूज़र्स और खासकर की बच्चे एडिक्शन, आक्रमकता और कोई भी गलत कदम उठाने की ओर अग्रसर न हो, इसीलिए सरकार द्वारा इन गेम्स पर पाबन्दी लगायी गयी.

पबजी, गरीना फ्री फायर और लूडो किंग जैसे गेम्स बच्चो में काफी मशहूर हैं और ज़ाहिर ही उनके दिमाग और शरीर पर गहरा प्रभाव डालते हैं.

मेज़बान: सोचने वाली बात है कि ऐसा क्या होता है इन गेम्स में जो ये इतना आकर्षित करते हैं और इनसे पीछा छुड़ाना इतना मुश्किल होता है?

उल्लेखों के मुताबिक इन गेम्स को डिज़ाइन ही ऐसे किया जाता है कि एक समय के बाद ये एडिक्टिव हो जाते हैं, इनके फीचर्स को इस बारीकी से प्लेस किया जाता है कि प्लेयर्स अपने सारे इमोशंस के साथ बिना ध्यान भटकाए आखिर तक गेम में बने रहे. रंग, लाइट्स, ऐम, रिवार्ड्स, सारी चीज़ों को संज्ञानात्मक यानी कॉग्निटिव मनोवैज्ञानिक शोध के बाद ऐड किया जाता है.

ऑनलाइन गेम्स अक्सर इंटरमिटेंट रिइंफोर्स्मेंट के सिद्धांत पर काम करते हैं, ये एक मनोवैज्ञानिक अवधारणा है जिसके तहत प्लेयर्स बार-बार गेम में वापिस आते हैं. कैसे और कब क्या रिवार्ड्स मिलेंगे, इसमें दिलचस्पी की वजह से एकसाईटमेन्ट तो बनी रहती है पर दुर्भाग्यपूर्ण ये एडिक्टिव व्यव्हार को बढ़ावा भी देता है.

मेज़बान: चलिए गेमिंग एडिक्शन को और गहरायी से जानते हैं,  इसके लिए हम मदद लेंगे न्यूरोसाइंस की. डोपामिन, एक न्यूरोट्रांस्मीटर जो आनंद, प्रोत्साहन और सीखने की प्रक्रिया से जुड़ा हुआ है, इसमें एक एहम भूमिका निभाता है. बहुत ज़्यादा गेम्स खेलने से दिमाग ज़्यादा डोपामिन रिलीज़ करता है जैसा ड्रग्स का सेवन करने के बाद होता है. एक समय के बाद दिमाग और शरीर को इसकी आदत हो जाती है इसीलिए प्लेयर्स ज़्यादा से ज़्यादा गेम्स में व्यतीत करना चाहते हैं.

इतना सारा डोपामिन एक साथ रिलीज़ होने के कारण कोई भी भाव काम मात्रा  में महसूस होने लग जाता है और एडिक्शन जैसे व्यवहार को भी बढ़ावा मिलता है. ये प्रभाव व्यक्तिगत तौर पर, गेमिंग पैटर्न्स और एक व्यक्ति कितना समय खेलने पर बिता रहा है, उस पर निर्भर करता है.

मेज़बान: पर काफी चर्चा और वाद-विवाद के बाद एक सवाल ये भी उठता है कि क्या अत्यधिक गेमिंग की वजह से दिमाग कमज़ोर हो सकता है या गेमर  ब्रेन में भी तब्दील हो सकता है. आइये जानें उन अलग-अलग तरीकों के बारे में जिससे ये पता चलेगा कि कैसे गेमिंग दिमाग के ढाँचे और कार्य करने की क्षमता पर असर डालता है.

गेमिंग, डोपामाइन, एक अच्छी मात्रा में रिलीज़ कराने का एक एहम ज़रिया है. यह भी जानना ज़रूरी है कि अत्यधिक गेमिंग की वजह से एक ऐसा चक्र बन सकता है जिससे दिमाग पर डोपामाइन का असर कम हो जाता ह और यहाँ तक की डोपामिन की कमी भी हो सकती है.

मेज़बान: शोधकर्ताओं को हिंसा-युक्त गेम्स और आक्रमकता के बीच में कनेक्शन ने काफी समय से प्रभावित कर रखा है. ये रेखा धूमिल हो सकती है और असल और वर्चुअल दुनिया में गेमर्स के व्यवहार के बीच के अंतर को भी धुंधला कर सकती है, कैसे ? जैसे दोनों ही दुनिया में दर्द के प्रति गेमर्स का एक सामान रिएक्शन. अत्यधिक ऑनलाइन गेमिंग दिमाग के तार्किक हिस्से को काबू को कर लेता है जिससे गेमर्स अजीब तरीके से रियेक्ट करते हैं.

मेज़बान: इन सब चिंताओं के बीच एक और पहलु है इन ऑनलाइन गेम्स में जिसमे य गेमर्स के दिमागी विकास पर सकारात्मक प्रभाव भी डालते हैं जिसके तहत कंसंट्रेशन बढ़ती है, मेमोरी मज़बूत होती है और प्रॉब्लम-सॉल्विंग स्किल्स में भी बढ़ोतरी होती है.

हमारी खोज ये साबित करती है कि दुनिया बहुमुखी है. अगर ये एक तरफ यूज़लेस है तो दूसरी तरफ दिमाग की क्षमताओं को भी बढ़ावा देती है.

आज के एपिसोड में गेमिंग की दुनिया में हमारे साथ सैर करने के लिए आपका धन्यवाद. वर्चुअल दुनिया की और  चीज़ों को एक्स्प्लोर करने के लिए हमारे साथ जुड़े रहिये और सुनते रहिय Techनीति

Archives

No archives to show.

Categories

  • No categories