सार- सोशल मीडिया कैसे बॉडी इमेज समस्याओं को बढ़ावा देता है? जानने के लिए सुनिए #Techनीति का नया एपिसोड
#Techनीति में आपका स्वागत है, यह पॉडकास्ट एक ऐसा मंच है जहाँ हम वैश्विक डिजिटल मुद्दों को समझते हैं और हर एक विषय और घटना के पीछे क्यों को जानने की कोशिश करते हैं | मैं हूँ आपका मेज़बान अमृता | आज हम बात करेंगे कैसे सोशल मीडिया बॉडी इमेज को प्रभावित है |
मेज़बान : बच्चे जो कभी खुश थे, मुस्कुरा थे, चहचहाते थे, अब वर्चुअल वर्ल्ड में खोये जा रहे हैं | सोशल मीडिया उनका हमसफ़र बन गया है जो उन्हें अकेला और कमज़ोर महसूस करवा रहा है | पर ऐसा क्यों? इस क्यों की तलाश में मदद लेंगे कुछ घटनाओं और वैज्ञानिक तथ्यों की |
मेज़बान : एक किशोरी हमेशा स्मार्टफोन से चिपकी रहती है, कभी-कभी घर से बहार निकलती है, किसी भी फंक्शन का हिस्सा नहीं बनना चाहती है | हमेशा अकेली रहकर फ़ोन पर इंस्टाग्राम, स्नैपचैट, फेसबुक चलना चाहती है, हर वक्त सेल्फीज़ पोस्ट करती रहती है |
मेज़बान : कुछ जाना-पहचाना सा सुनाई नहीं दे रहा है?
मेज़बान : हम अपने आस-पास ऐसे ही टीनएजर्स को देखते हैं |
मेज़बान : सर्विसेज फॉर हेल्थी यूज़ ऑफ़ टेक्नोलॉजी क्लिनिक के एक स्टडी के मुताबिक़ 21 साल की लड़की हर 15-20 मिनट में सेल्फी खींचने से सोशल एंज़ायटी और पॉपुलर होने के जूनून के बारे में पता लगता है | यह लड़की अकेली नहीं है, सैकड़ों वर्चुअल दुनिया में वेलिडेशन पाने के भंवर में फसे हुए हैं |
मेज़बान : क्या खुद को दूसरों से कपड़े करना नॉर्मल है ? कपरिसों अपने आप में ही बहुत प्रोब्लेमैटिक है और दिन पर दिन और बनते जा रहा है, इसको समझने के लिए हम एक्स्प्लोर करेंगे सोशल कपारिओसें थ्योरी को | इंसानों ने अपनी कीमत समझने के लिए हमेशा खुद की तुलना दूसरों से की है | जबसे सोशल मीडिया ने हमे सेलिब्रिटीज़ और इन्फ्लुएंसर्स की करीब परफेक्ट दिखने वाली बॉडीज की तसवीरें दिखाना शुरू किया है, हमने खुद को शुरू कर दिया है |
मेज़बान : सोशल मीडिया कैसे इन अवास्तविक तुलनाओं को बढ़ावा दे रहा है ?
मेज़बान : फिल्टर्स और एडिटिंग टूल्स के कारण इन तुलनाओं ने एक नया मुकाम हासिल कर लिया है | हम एक्स्प्लोर करेंगे कैसे ये टूल्स सेल्फ-ऑब्जेक्टिफ़ाई करने और खुद को सिर्फ शारीरिक तौर पर आंकने के लिए मज़बूर करते हैं |
मेज़बान : हमे समझने की ज़रूरत है कि ये हमारे युवाओं के मानसिक सवास्थ्य पर कितना गहरा असर डाल रहे हैं | इन अवास्तविक मानकों यानी स्टैंडर्ड्स का असर काफ़ी खतरनाक है जिनकी वजह से बॉडी डिमॉरफिक डिसऑर्डर, ईटिंग डिसऑर्डर्स, एंग्जायटी, डिप्रेशन यहाँ तक कि सुसाइडल ख्यालों से भी झूझने लगते हैं
मेज़बान : बॉडी इमेज पर सोशल मीडिया के अनचाहे प्रभावों को रोकने के लिए हमने एक लिस्ट तैयार की है जो मददगार साबित हो सकती है | ये टिप्स सहायता करेंगे असल दुनिया में रहते हुए वर्चुअल दुनिया को समझने में |
सोशल मीडिया पर काम समय बिताएं और एक निर्धारित स्क्रीन टाइम भी रखें |
ऐसे एकाउंट्स फॉलो न करें जो शरीर की एक अवास्तविक छवि को प्रोमोट करते हैं |
फोटो एडिटिंग लिमिटेड रखें और उसके बारे में और अच्छे से जानने की कोशिश करें
हर हफ्ते कम से कम एक दिन डिजिटल उपकरण से ब्रेक लें |
कुछ रिक्रिएशनल एक्टिविट्स का हिस्सा बनें और वास्तविक दुनिया से और जुड़ने की कोशिश करें
मेज़बान : अपने रूप को लेकर इतने भावुक न हों और सोशल मीडिया को अपने शरीर को लेकर अवास्तविक गोल्स साधने की कोशिश न करें |
मेज़बान : आज के एपिसोड में इतना ही, सुनते रहिये #Techनीति