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डिजिटल खतरे : प्रोब्लेमेटिक इंटरएक्टिव मीडिया यूसेज और युवाओं पर पड़ने वाले प्रभाव

प्रस्तोता – अमृता तिवारी

सार – Techनीति  के पहले  एपिसोड में, अमृता अचंभित करने घटनाओं के पीछे के कारणों की पड़ताल कर रही है, जो हाल के दिनों में सुर्खियां बनीं, जब बच्चों और किशोरों ने अपने डिजीटल उपकरणों को उनसे दूर ले जाने या स्क्रीन समय को सीमित करने के लिए कहा तो उन्होंने अत्यधिक कदम उठाए। यह एपिसोड संबोधित करेगा

पीआईएमयू क्या है और इससे बच्चे और किशोर कैसे प्रभावित होते हैं जैसे प्रश्न? और माता-पिता क्या कर सकते हैं?

विस्तार – मैं अमृता स्वागत करती हूँ आपका Techनीति में | यह पॉडकास्ट एक ऐसा मंच है जिसके माध्यम से हम लेकर आएंगे दुनिया के तमाम डिजिटल मुद्दों को व् जानेंगे उनके पीछे के क्या और क्यों को. साथ ही कोशिश करेंगे डिजिटल दुनिया के समस्याओं को सुलझाने की भी. 

आज के एपिसोड में हम चर्चा करेंगे समस्यात्मक इंटरैक्टिव मीडिया उपयोग यानी पिमु के बारे में और उससे युवाओं पर हो रहे चिंताजनक प्रभावों के बारे में भी | 

ज़रा सोचिये, एक 14  साल की लड़की ने एक स्कूल डारमेट्री में आग लगा दी, जिसमे 19 छात्रों की जान चली गयी  उसने ऐसा कदम क्यों उठाया ? ऐसा करने के लिए उसे किसने प्रेरित किया? सब कुछ उस दिन शुरू हुआ जब उसका मोबाइल फ़ोन उसके स्कूल ऑथोरिटीज़ ने उससे छीन लिया। 

एक और घटना लें 15 साल की एक लड़की ने अपने परिवार के साथ एक वाद-विवाद के बाद ईमारत से कूदकर आत्महत्या कर ली । यह चौकाने वाली घटनाएं हमे याद दिलाती हैं कि जब वर्चुअल और वास्तविक दुनिया के बीच की रेखाएं बलर हो जाती हैं तो उसके परिणाम कितने डरावने हो सकते हैं. 

सोच के देखिये, घंटो-घंटो तक सोशल मीडिया को बिना सोचे समझे स्क्रॉल करना या ऑनलाइन गेम्स के दुनिया में खो जाना | यह डिजिटल दुनिया अपने फेर में बच्चों को रखती है जिससे व अपने उम्र के हिसाब सेे उनुचित कंटेंट से रूबरू होते रहते हैं जैसे की violence, suicide, सेक्सुअल कंटेंट, जिससे देख कर उनके  व्यवहार में बदलाव आने लगता है और पढाई लिखे पर भी असर पड़ता है.

इंस्टीट्यूट फॉर गवर्नेंस, पॉलिसीज़ और पॉलिटिक्स की एक रिपोर्ट बताती है कि युवा पीढ़ी का एक महत्वपूर्ण प्रतिशत non academic कामों के लिए ही  समय व्यतीत करता है। 

दुर्भाग्य से, पीआईएमयू के परिणाम केवल मनोवैज्ञानिक नहीं हैं। वे एक युवा व्यक्ति के जीवन के हर पहलू में घुस जाते हैं, उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर भी कहर बरपाते हैं। डिप्रेशन, एंजायटी, सब्सटांस एब्यूज और  स्वास्थ्य से जुड़ी कई समस्याएं भी साथ आ जाती हैं ।

क्या आप अटेंशन डेफिसिट एंड हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर के बारे में जानते है?

इसे आसान भाषा में ADHD भी कहते है | पिमु के बढ़नेे का यह एक बहुत बड़ा कारण है।  यह अपनी तरफ ध्यान आकर्षित करने वाले, गुस्से में आकर कुछ करने और  ह्यपेरेक्टिवित्य को बढ़ावा है|   यह इतना बढ़ जाता है कि  बच्चों और किशोर इसे कण्ट्रोल  नहीं कर पाते जिसके कारण वो आक्रमक कदम उठा लेते हैं या गुस्से क रूप में ज़ाहिर करते है | ये एक टाइम बम की तरह है जो कभी भी फटने क लिए तैयार रहता है जैसे ही उनका फ़ोन या दुसरा डिजिटल डिवाइस उनसे चीन लिया जाये। 

हम सबको यह समझने की ज़रूरत है की बच्चो की सुरक्षा हमारी साझी ज़िम्मेदारी है। केवल माँ बाप के ऊपर यह ज़िम्मेदारी छोड़ कर हम सब  इससे अपना पलड़ा नहीं झाड़ सकते। बड़ी टेक क को समझने की ज़रूरत है की बच्चों की ऑनलाइन स्पेस पर सुरक्षा उनके भी ज़िम्मेदारी हैं।   

सवाल अब यह की माता पिता को की करना चाहिए , कैसे वो अपने बच्चों की सुरक्षा कर सकते हैं |   

पेरेंट्स बच्चों के लिए डिजिटल हेल्थी प्लान्स बना सकते हैं जैसे की घर में टेक फ्री ज़ोन्स बनाना। पेरेंट्स को खुद बच्चों के सामने उद्हारण के तौर पर आना चाहिए और उन्हें समझाना चाहिए कि स्क्रीन के बहार भी एक दुनिया है जो सुन्दर है।   

आज का एपिसोड यहीं सम्पाप्त होता है। तब तक के लिए सुरक्षित रहें और बच्चों को साइबर हेल्थी बिहैवियर सिखाएं

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